Wednesday 23 April 2014

शरद पवार की नई तलाश

  शरद पवार की नई  तलाश....  


हर लोकसभा चुनाव में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार साहब  से  टीवी  इंटरव्यू हो जाता है.. लेकिन इस बार बीजेपी के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के लहर के बीच उनसे रूबरू होना वाकई में एक अलग अनुभव था.मै उनको अंदरसे टटोलना चाहता था। पवार को चुनावी महासमर में देश के राजनीती के चाणक्य कहे  जाने वाले पवार के बयानोमे लगातार कई बदलाव आये.  जिसकी वजह से कई मोके पर संभ्रम की स्थिति निर्माण हुई. लेकिन इंटरव्यू में उन्होंने साफ़ किया की मोदी प्रधानमंत्री के लिए सक्षम नहीं है. अटलबिहारी वाजपेयीजी की तरह उनपर कई क्षेत्रीय दलों का बिलकुल भरोसा नहीं है. मोदी ये केवल हवा निर्माण कर रहे है लेकिन जमिन पर लोग उनके साथ नहीं है. महाराष्ट्र के सरकार ने भी विकास के कई काम किये है लेकिन मोदी की तरह उन्हें ढिंढोरा पीटना नहीं आता.माधवराव सोलंकी और चिमनभाई पटेल के वक्त भी गुजरात का जीडीपी यह 16  फीसदी था अब वह 9  फीसदी है.जिस गुजरात के विकास के मॉडल की बात मोदी करते है उसमे सच्चाई नहीं है.
मोदी नाही देश के रक्षा नीति पर बात करते है और नाहीं विदेश ,आर्थिक और कृषि नीति पर.

मतलब  जिस मोदी के आसपास पवार  चुनाव प्रचार शुरू होने के पहले जा रहे थे.उसी मोदी को पवार ने महाराष्ट्र में प्रचार में आखिरतक जमकर लताड़ा। 

शायद पवार ये जान गए होंगे की अगर मोदी के खुिलाफ आक्रामक नहीं हुए तो कही यैसा न हो की लोग यह समझ बैठे की मोदी लहर को पवार ने स्वीकार कर लिए हो.क्यों की तबतक पवार को बीजेपी और  शिवसेना ने एनडीए से बहोत दूर कर दिया था जिसकी चर्चा शुरुवाती  दिनों में उड़ रही थी.

मतलब साफ़ है की पवार अब देश के राजनीती में मोदी के प्रखर विरोधी बन गए है। और खुद पवार इसमें कोई किन्तु परन्तु नहीं छोडना चाहते है.


मुंबई की प्रचार सभा में सोनिया गांधी की जगह राहुल गांधी का आना शरद पवार को बिलकुल रास नहीं आया जिसकी वजह  से पवार के हेलीकॉटर में अचानक खराबी आई लेकिन टीवी इंटरव्यू में ये साफ़ हो गया की राहुल के साथ बैठने का कोई मतलब ही नहीं है. क्यों की जाना सोनिया के साथ था.

पवारने  अपना रुख एक एक कर साफ़ किया। ये पूछने पर की कांग्रेस की साडी दारोमदार राहुल के कंधो पर है लेकिन  एनसीपी की पटरी उनके साथ बैठ नहीं  पा रही है.पवार जवाब देते है की राहुल को आगे करना कांग्रेस का अंदरुनी मामला है और एनसीपी से उनका कोई लेना देना नहीं है. शायद पवार लोकसभा के मैदान से इसलिए अलग हो गए की वह वक्त उन्हें देखना न पड़े की राहुल यूपीए के नेता बन गए है. 

अब जरा पवार साहब देश में तीसरे विकल्प के बारे में क्या कहते है ये भी जरा सुनिए।लेकिन उसके पहले बीजेपी के बारे में उनका गणित मै आपको बता देता हु.एक सीट से क्यों न हो लेकिन बीजेपी इस बार सिंगल लार्जेस्ट पार्टी के तौर पर उभर सकती है.लेकिन मोदी के अगुवाई में  एनडीए का बंटाधार होने वाला है.यैसे में कांग्रेस से विचारविमर्श कर तीसरे विकल्प पर आगे जाया जा सकता है.लेकिन पवार तस्वीर को और साफ़ करते हुए कहते है की देश ने हमेशा तिसरे विकल्प के हाथ  बहोत असुरक्षित महसूस किया है. याने की पवार की नजर इस विकल्प पर नहीं है.

चलिए कहने के लिए बहोत कुछ है लेकिन शरद पवार अब उम्र के चहोत्तर साल में चुनाव के बाद कुछ यैसा काम शुरू करने जा रहे है जिससे महाराष्ट्र के जनता को  फायदा होगा। और ये काम राजनीती से हटके  होगा। 

याने कुल मिलाकर  शरद पवार साहब अब देश के राजनीती से दूर जाकर अपने लिए नई  जमींन  तलाशने जा रहे है. 
       



No comments:

Post a Comment